दिवाली के प्रदूषण से 25 फीसदी बढ़ी सांस के रोगियों की संख्या, ऐसे करें बचाव

 


दिवाली के प्रदूषण से 25 फीसदी बढ़ी सांस के रोगियों की संख्या, ऐसे करें बचाव



दिवाली के बाद प्रदूषण में बढ़ोतरी से अस्पतालों में सांस की बीमारियों से पीड़ितों की संख्या 20-25 फीसदी तक बढ़ गई है। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे रोगियों को प्रदूषण बढ़ने से सांस लेने में तकलीफ, अस्थमा अटैक के लक्षण बढ़ जाते हैं। एम्स के प्रोफेसर नवल विक्रम के मुताबिक उनकी ओपीडी में इन बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या में 20 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है। आगे जानिए बढ़ते प्रदूषण से लड़ने के लिए आपको कौन-कौन से कदम उठाने चाहिए..


राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि इमरजेंसी में भी सांस और अस्थमा की शिकायतें बढ़ी हैं। लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में भी ऐसे 20-25 फीसदी रोगियों की संख्या अस्पताल की इमरजेंसी और ओपीडी में बढ़ गई है।


अस्थमा रोगियों में ये लक्षण बढ़े


सांस लेने में दिक्कत और सीटी जैसी आवाज आना, सीढ़ी चढ़ने या तेज चलने पर खांसी होना, हंसने या गुस्से से खांसी आना, नाक बजना, छाती में खिंचाव, रात और सुबह में सांस लेने में दिक्कतें


ऐसे करें बचाव



  • सुबह और शाम बाहर निकलने से बचें, हवा की गुणवत्ता खराब होने पर क्रिकेट, हॉकी, साइक्लिंग से बचें, प्रदूषण स्तर  200 से अधिक हो तो पार्क में सैर के लिए न जाएं 

  • जब प्रदूषण स्तर 300 से ज्यादा हो तो लंबी दूरी की सैर न करें

  • जब स्तर 400 के पार हो तो घर के अंदर रहें 

  • बेहतर गुणवत्ता के मास्क का इस्तेमाल जरूरी है

  • अधिक से अधिक तरल पदार्थ लें ताकि शरीर में पानी की कमी न रहे


  • धमनियों के बंद होने का बढ़ जाता है खतरा 


    इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल का कहना है कि दिवाली के बाद वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 के करीब पहुंच गया। पीएम 2.5 और इससे छोटे आकार के कण फेफड़े के जरिये रक्त में पहुंच जाते हैं। इस वजह से धमनियां ब्लॉक होने की आशंका रहती है। इससे हृदय की बीमारियां होने का खतरा रहता है।